लाल सागर और अदन की खाड़ी (आरएसजीए) क्षेत्र विश्व स्तर पर अपनी सुभिन्न समुद्री एवं तटीय जैव विविधता, अंतरराष्ट्रीय समुद्रवर्ती परिवहन के महत्व और विशिष्ट आर्थिक, ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। आरएसजीए पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा समृद्ध जैव विविधता को संवर्धित हुई है, जिसमें स्थानिक प्रजातियों का अनुपात अपेक्षाकृत रूप से अधिक है। इस क्षेत्र में कई ऐसे स्थल और प्रजातियां हैं जिन्हें वैश्विक संरक्षण प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।
लाल सागर
लाल सागर, हिंद महासागर का एक समुद्री जल प्रवेश द्वार है जो अफ्रीका और एशिया के बीच स्थित है। यह एक संकीर्ण जल निकाय है जो मिस्र की स्वेज नहर से 1,200 मील (1,930 किलोमीटर) दक्षिण-पूर्व में बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य तक फैला है, जो इसे अदन की खाड़ी के माध्यम से अरब सागर से जोड़ता है। भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, स्वेज और अकाबा (एलाट) की खाड़ियों को इसी संरचना का उत्तरी विस्तार माना जाना चाहिए। पश्चिम की ओर, यह समुद्र मिस्र, सूडान और इरिट्रिया के तटों को तथा पूर्व की ओर, सऊदी अरब और यमन के तटों को विभाजित करता है। दक्षिण में यह अदन की खाड़ी और बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य से जुड़ा हुआ है। इसके उत्तर में सिनाई प्रायद्वीप, अकाबा की खाड़ी और स्वेज की खाड़ी स्थित हैं। यह लाल सागर के विभ्रंश (Rift) के नीचे है, जो ग्रेट रिफ्ट वैली (भूमि या समुद्र तल के नीचे पृथ्वी की विवर्तनिक पट्टिकाओं के अलग होने या गतिशीलता के कारण उत्पनन एक निचला क्षेत्रा, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण पूर्वी अफ्रीका की विभ्रंश प्रणाली है जिसे ग्रेट रिफ्ट वैली कहा जाता है।) का हिस्सा है। लाल सागर अभिलिखित इतिहास में वर्णित पहले बड़े जल निकायों में से एक है। 2000 ईसा पूर्व में, इसने मिस्र के समुद्री वाणिज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लगभग 1000 ईसा पूर्व तक भारत द्वारा अपने व्यापारिक उद्देश्यों के लिए इसका प्रयोग एक जल मार्ग के रूप में किया जा रहा था।
लाल सागर का पृष्ठीय क्षेत्रफल लगभग 1,69,000 वर्ग मील (4,38,000 वर्ग किमी) है, जिसकी लंबाई लगभग 1,400 मील (2,250 किमी) है; सबसे विस्तृत स्थल पर इसकी चौड़ाई 221 मील (355 किमी) है; और इसकी औसत गहराई 1,610 फीट (490 मीटर) है। केंद्रीय सुआकिन द्रोणी (Trough) में इसकी अधिकतम गहराई 9,970 फीट (3,040 मीटर) तक है। लाल सागर का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा उथला है, जिसकी गहराई 330 फीट (100 मीटर से कम) से कम है और लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा 164 फीट (50 मीटर से कम) से कम गहरा है।
विश्व में पाए जाने वाले कुछ अत्यधिक उष्ण और लवणीय जल जैसा जल लाल सागर में पाया जा सकता है। यह विश्व के सबसे बड़े पैमाने पर प्रयुक्त और सर्वाधिक व्यस्ततम जलमार्गों में से एक है, जो स्वेज नहर के माध्यम से भूमध्य सागर से जुड़े होने के कारण यूरोप एवं एशिया के बीच समुद्री व्यापार का परिवहन करता है। लाल सागर का नाम वर्षों से इसके जल में अवलोकित रंग परिवर्तन के कारण रखा गया है। यह सामान्यतया गहरे नीले-हरे रंग का होता है; यद्यपि, दुर्लभ समय पर, शैवाल, जिसे ट्राइकोडेसमियम एरिथ्रियम (Trichodesmium erythraeum) कहा जाता है, के विस्तृत प्लवकपुंज (ब्लूम—प्लवकीय शैवाल की घनी वृद्धि जो जलराशि को एक विशेष रंग दे देती है) के कारण समुद्री जल लाल भूरे रंग का हो जाता है।
अरब और अफ्रीका की महाद्वीपीय पर्पटी में रिफ्ट (पृथ्वी की पर्पटी में भंजन) घाटी का एक बड़ा हिस्सा आंशिक रूप से लाल सागर से घिरा हुआ है। पर्पटी में यह भंजन एक जटिल रिफ्ट समूह का भाग है। पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट समूह, जो ग्रेट वाडी अकाबा-मृत सागर-जॉर्डन रिफ्ट का निर्माण करता है, दक्षिण की ओर इथियोपिया, केन्या और तंजानिया से लगभग 2,200 मील तथा उत्तर की ओर अकाबा की खाड़ी से 280 मील से अधिक विस्तृत है। यह लाल सागर के दक्षिणी छोर से लगभग 600 मील तक पूर्व की ओर भी विस्तृत है, जिससे अदन की खाड़ी का निर्माण होता है।
लाल सागर घाटी भी अरब-न्युबियन मैसिफ (गिरिपिंड—प्रायः घाटियों के बीच में स्थित किसी पर्वत कटक का एक अपेक्षतया दृढ़ केंद्रीय भाग) से होकर गुजरती है। लाल सागर को अपेक्षाकृत नया सागर माना जाता है और इसकी द्रोणी का निर्माण स्पष्ट रूप से भू-गति के न्यूनतम दो जटिल चरणों में हुआ है। लगभग 55 मिलियन वर्ष पहले अफ्रीकी क्षेत्र ने अरब से दूर होना शुरू किया था। लगभग 30 मिलियन वर्ष पहले, स्वेज की खाड़ी तथा लाल सागर का उत्तरी भाग खुलने लगा। दूसरा चरण, जिसने अकाबा की खाड़ी और लाल सागर घाटी के दक्षिणी भाग में द्रोणी का निर्माण किया, लगभग तीन से चार मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ था। प्राक्कलित रूप से यह प्रतिवर्ष 0.59 से 0.62 इंच (15.0 से 15.7 मिमी) की गति से बढ़ रहा है, और अभी भी जारी है।
अरब-न्युबियन पर्वतमाला कैम्ब्रियन पूर्व (Precambrian—पृथ्वी के ऐतिहासिक कालक्रम में प्राग्जैविक [ऐजोंइक] महाकल्प के बाद और पुराजीवी [पेलियोजोइक] महाकल्प से पहले 150 करोड़ वर्ष की अवधि; जीवों का इतिहास यहीं से शुरू होता है) आग्नेय और कायांतरित चट्टानों का एक प्रमुख अखंडित पिंड था। इसके दृश्यांश ने निकटवर्ती क्षेत्र के असम पहाड़ों का निर्माण किया है।
लाल सागर में अल्प वर्षा होती है और नदियों से लाल सागर में कोई जल प्रवेश नहीं करता; तथापि, वाष्पीकरण के कारण होने वाली क्षति की भरपाई अदन की खाड़ी से बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य के पूर्वी चैनल (प्रणाल) के माध्यम से होने वाले प्रवाह से होती है। लाल सागर क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों की पांच मुख्य श्रेणियां हैं: (i) अटलांटिस II, डिस्कवरी और अन्य गहन भागों (Deeps) के तल में भारी धातु के भंडार; (ii) पेट्रोलियम के भंडार; (iii) वाष्पीकृत निक्षेप; (iv) सल्फर; और (v) फॉस्फेट। भारी धातु के किसी भी भंडार का दोहन नहीं किया गया है। हालांकि, समुद्र की सीमा से लगे देशों ने अलग-अलग स्तरों पर प्राकृतिक गैस एवं तेल भंडारों का दोहन किया है।
अटलांटिस II, लाल सागर का सबसे बड़ा अंतःसमुद्री बेसिन है। इसकी अधिकतम गहराई 7,160 फीट (2,170 मीटर) है और यह उष्ण लवणीय जल के उन क्षेत्रों में से एक है, जहां जल का तापमान 133° फारेनहाहट (56° से.) तक और लवणता 270 ग्राम/हजार होती है जो सामान्य समुद्री जल से लगभग 7.5 गुना अधिक है। इसके अलावा, डिस्कवरी डीप में स्थित एक अतः समुद्री बेसिन, अटलांटिस II से छोटा, है जिसकी अधिकतम गहराई 7,283 फीट (2,220 मीटर) है।
लाल सागर में नौवहन करना चुनौतीपूर्ण है। लाल सागर के उत्तरी भाग के तट पर कुछ प्राकृतिक बंदरगाह हैं। दक्षिणी भाग में विकसित प्रवाल भित्तियों ने नौगम्य प्रणाली को संकीर्ण कर दिया है और कुछ बंदरगाह सुविधाओं को अवरुद्ध कर दिया है। हालांकि, 20वीं सदी में, विशेषकर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लाल सागर व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान का केंद्र था। शोधकर्ताओं ने लाल सागर की भूगर्भीय संरचना को समझने के साथ-साथ इसके रासायनिक एवं जैविक गुणों की जांच करने पर बहुत ध्यान दिया है।
अदन की खाड़ी
अदन की खाड़ी, अरब सागर को लाल सागर से जोड़ने वाली एक प्राकृतिक समुद्री कड़ी के रूप में कार्य करती है। यह अरब के तटों और हॉर्न ऑफ अफ्रीका (पूर्वी अफ्रिका का क्षेत्र) के बीच स्थित है, और इसका नाम अदन के बंदरगाह के नाम पर रखा गया है, जो दक्षिणी यमन में स्थित है। यह पश्चिम में ताजौरा (Tadjoura) की खाड़ी में संकरी हो जाती है, और केप गार्डाफुई (51°16’ पूर्व) का याम्योत्तर इसकी पूर्वी सीमा को परिभाषित करता है। समुद्र विज्ञान और भूविज्ञान के संदर्भ में, यह लगभग 2,05,000 वर्ग मील (5,30,000 वर्ग किमी) के क्षेत्र को आच्छादित करती है, जो दक्षिण में सोकोत्रा (Socotra) द्वीप और उत्तर में कुरिया मुरिया द्वीप से बाहर महाद्वीपीय शेल्फ की पूर्वी सीमाओं तक फैली हुई है। उत्तर-उत्तर पूर्व से दक्षिण-दक्षिण पश्चिम तक मापी गई इसकी औसत चौड़ाई 300 मील (480 किलोमीटर) है, जबकि इसकी कुल लंबाई 920 मील (1,480 किमी) है, जो पूर्व-उत्तर पूर्व से पश्चिम-दक्षिण पश्चिम तक मापी गई है।
अदन की खाड़ी उत्तर में यमन, पूर्व में अरब सागर, पश्चिम में जिबूती और दक्षिण में सोकोत्रा और सोमालिया के गार्डाफुई चैनल की बीच स्थित हिंद महासागर की एक गभीरजल की खाड़ी है। इस खाड़ी से होकर प्रत्येक वर्ष 21,000 जहाज गुजरते हैं, यह जलमार्ग महत्वपूर्ण स्वेज नहर के समुद्री मार्ग का एक हिस्सा है जो हिंद महासागर में भूमध्य सागर तथा अरब सागर को जोड़ता है। यह खाड़ी एक जटिल जल संरचना का हिस्सा है। खाड़ी का जल, बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य के माध्यम से लाल सागर में बहता है। यह लाल सागर में वाष्पीकरण के कारण होने वाली जल की क्षति की भरपाई करता है। मानसूनी पवन और भंवर खाड़ी के प्रवाह पैटर्न को जटिल बनाते हैं। इसकी पृष्ठीय परत में उच्च लवणता मौजूद है।
खाड़ी के भूभाग की प्रमुख उच्चावच विशेषता शेबा कटक (रिज—पहाड़ियों या पहाड़ों के शिखर पर लंबा तंग उठा हुआ हिस्सा, उन्नत भूभाग) है, जो हिंद महासागर कटक तंत्र का विस्तार है, जो खाड़ी के मध्य तक फैला हुआ है। शेबा कटक के अक्ष से दूर तक फैला हुआ समुद्र तल के खाड़ी के भूगर्भिक गठन का मुख्य कारक है। अफ्रीकी महाद्वीप और अरब प्रायद्वीप लगभग 35 मिलियन वर्ष पहले अपनी वर्तमान सीमा पर विभाजित हुए थे। तब से वे खाड़ी के भ्रंश के समानांतर दिशा में प्रवाहित हो रहे हैं। अदन कटक, जो सोमालिया और उत्तर में अरब प्रायद्वीप के बीच अदन की खाड़ी में स्थित एक सक्रिय तिरछी रिफ्ट समूह है, प्रत्येक वर्ष लगभग 15 मिलीमीटर चौड़ी हो रहा है।
अदन की खाड़ी का समुद्री जीवन समृद्ध है। मौसम के अनुसार तटीय क्षेत्र में जल में होने वाली तीव्र वृद्धि परिवर्तनशील होती है जो पृष्ठीय स्तर को पोषक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति करती है। यह प्रचुर मात्रा में प्लवक के उत्पादन में मदद करती है। प्रोत्थान वाले क्षेत्रों में, प्रचुर मात्रा में सार्डिन (एक छोटी समुद्री मछली) एवं मैकेरल (उत्तरी अटलांटिक की स्कॉम्ब्रिडे परिवार की मछली जो ऊपर से हरे रंग की, गहरे नीले रंग की पट्टियों वाली और नीचे से चांदी जैसी होती है) पाई जाती हैं। डॉल्फिन, टूना, बिलफिश और शार्क इस क्षेत्र में पाई जाने वाली खुले समुद्र की कुछ मुख्य मछलियां हैं। इसके अलावा, यह खाड़ी समुद्री कछुओं और रॉक लॉबस्टर के लिए प्रजनन स्थल प्रदान करती है। व्यापक स्तर पर वाणिज्यिक मत्स्यन की सुविधाओं की कमी के बावजूद, इसकी तटरेखा कई पृथक मत्स्यन वाले शहरों एवं गांवों का समर्थन करती है।
अदन की खाड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था में नौवहन मार्ग के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, विशेष रूप से फारस की खाड़ी से तेल के परिवहन के लिए। अदन की खाड़ी से होकर विश्व के लगभग 11 प्रतिशत समुद्री पेट्रोलियम का परिवहन होता है जैसा कि यह स्थानीय परिशोधनशाला (रिफाइनरियों) या स्वेज नहर से होकर गुजरती है। खाड़ी के किनारे स्थित मुख्य बंदरगाह—अदन, बलहाफ, बीर अली, अल मुकल्ला और यमन में शोकरा; जिबूती में जिबूती सिटी; और सोमालिया में जिला, बरबेरा और बोसासो हैं।
अदन की खाड़ी विश्व के सबसे व्यस्त नौवहन मार्गों में से एक है। इसके बावजूद 2000 के दशक के उत्तरार्ध से, यह खाड़ी समुद्री डाकुओं की गतिविधि का केंद्र बन गई है। 2013 तक, सक्रिय वैयक्तिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय नौसेना गश्ती के कारण जल क्षेत्र में हमलों में लगातार कमी आई थी। हालांकि, फेडरल गवर्नमेंट ऑफ सोमालिया (एफजीएस) सोमाली समुद्री क्षेत्र को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की क्षमता न होने से चिंतित है, जिसकी अरक्षितता समुद्री डाकुओं द्वारा उजागर की गई है। यद्यपि नौसेना की गश्त से इसे पूरी तरह से दबाया नहीं जा सका है, तथापि इस क्षेत्र में समुद्री डाकुओं को एक निष्क्रिय खतरे के रूप में देखा जाता है और इसके एक हिस्से को सोमालियाई जल क्षेत्र में विदेशी जहाजों द्वारा अनियमित मत्स्यन की समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इस क्षेत्र से भारत सालाना लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात और लगभग 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है। इसलिए, और अन्य देशों के व्यापार की सुरक्षा के लिए, भारत ने इस क्षेत्र में एक युद्धपोत को तैनात कर रखा है।
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