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अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स) 2023

परिचय

भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए—यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली) ने मार्च 2021 में अपने 75वें सत्र में वर्ष 2023 को इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स या अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (आईवाईएम 2023) घोषित किया। यूएनजीए और एफएओ (संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन अर्थात फूड एंड एग्रिकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द यूनाइटेड नेशंस) द्वारा प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद यह घोषणा की गई थी। इस घोषणा में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मिलेट (अर्थात मोटा अनाज या श्री अन्न—छोटे-छोटे बीजों वाले ग्रैमिनी कुल के धान्य, ज्वार, बाजरा, सांवा, मैडुबा आदि) के महत्व और ‘ग्लोबल सूपरफूड’ के रूप में इनकी क्षमता पर प्रकाश डाला गया।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अन्य केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और भारतीय दूतावासों के साथ मिलकर लोगों को इन प्राचीन सर्वोत्तम अनाजों के महत्व और उन्हें लोगों के आहार में किस प्रकार शामिल किया जा सकता है, के बारे में जागरूक करने के लिए कई गतिविधियां आयोजित की। भारत सरकार द्वारा आयोजित कुछ कार्यक्रमों में ‘मिलेट स्टार्टअप इन्नोवेशन चैलेंज’, ‘इंडियाज वेल्थ, मिलेट्स फॉर हेल्थ’, ‘लोगो एंड स्लोगन कॉण्टेस्ट फॉर आईवाईएम 2023’ और ‘माइटी मिलेट्स क्विज’ शामिल हैं। इसके अलावा, भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि आईवाईएम 2023 एक ‘जन आंदोलन’ होगा जो भारत को ‘मिलेट का वैश्विक केंद्र’ बनाने में सहायता करेगा।

आईवाईएम 2023 को समारोह के रूप में मनाने के लिए भारत को 70 से अधिक देशों का समर्थन प्राप्त हुआ। एफएओ की देखरेख में, आईवाईएम 2023 को किसानों, नागरिक समाज और युवाओं जैसे अन्य हितधारकों के साथ एक समारोह के रूप में मनाया गया। आईवाईएम 2023 का उद्घाटन समारोह और अन्य समारोह इटली के रोम में एफएओ के मुख्यालय में आयोजित किए गए।

मिलेट के पोषण मूल्य और जलवायु परिवर्तन के प्रति उनके सुगम अनुकूलन को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2023 को इनकी खेती में और अधिक प्रयास करने के लिए समर्पित किया गया।

आईवाईएम 2023 के उद्देश्य

आईवाईएम 2023 के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • हितधारकों का मार्गदर्शन करके दुनिया भर में उगाए जाने वाले मिलेट के सतत उत्पादन को बढ़ावा देना और उसकी गुणवत्ता में सुधार करना
  • लोगों को जागरूक करना कि मिलेट खाद्य सुरक्षा और पोषण में महत्वपूर्ण योगदान देता है
  • मिलेट द्वारा प्रदान किए जाने वाले पोषण और स्वास्थ्य लाभों के साथ-साथ वैश्विक जलवायु परिवर्तनों के प्रति उनके लचीलेपन को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाना
  • मिलेट के सतत उत्पादन को प्रोत्साहित करना, जिससे उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए कई नए संधारणीय बाजार अवसर सृजित हो सकते हैं
  • अनुसंधान और विकास के साथ-साथ विस्तार या प्रसार सेवाओं में निवेश पर जोर देना ताकि उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके

मिलेट के बारे में

मिलेट लाखों छोटे किसानों के लिए मुख्य आहार है जो उन्हें पोषण, आजीविका और आय प्रदान करता है। 130 से अधिक देशों में उगाए जाने वाले मिलेट का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिसमें चारा, भोजन, शराब बनाना और जैव ईंधन शामिल हैं।

‘मिलेट’ शब्द लैटिन शब्द मिलम (milum) से लिया गया है जिसका अर्थ होता है धान्य या श्री अन्न। मिलेट अनाजों का एक समूह है जो पोएसी परिवार (ग्रैमिनी कुल), जिसे सामान्यतया घास परिवार के रूप में जाना जाता है, से संबंधित है। मिलेट के विभिन्न प्रकार हैं, जो उनके रंग, बनावट, उपस्थिति, अनाज के आकार और प्रजातियों के आधार पर भिन्न होते हैं।

अनाज के आकार के आधार पर, मिलेट को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जाता है

  1. बड़े या प्रमुख मिलेट में ज्वार (Sorghum), बाजरा (Pearl Millet), रागी (Finger Millet), कंगनी या काकुन (Foxtail Millet) और चीना (Proso Millet) शामिल है; तथा
  2. छोटे या गौण मिलेट जैसे कि कोदरा (Kodo Millet), समा (Barnyard Millet), हरि कागनी (Browntop Millet) और कुटकी (Little Millet) हैं।

प्रायः ‘पोषक-अनाज’ या ‘शुष्क भूमि-अनाज’ के रूप में ज्ञात मिलेट मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों, अर्थात उप-सहारा अफ्रीका और एशिया, के शुष्क क्षेत्रों में उपांत भूमि (जिसका कृषि या औद्योगिक मूल्य बहुत कम या शून्य है) पर उगाया जाता है। वे स्थानीय लोगों की संस्कृतियों और परंपराओं का अभिन्न अंग हैं, तथा उन्हें खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हैं।

मिलेट को ‘स्मार्ट फूड’ माना जा सकता है क्योंकि यह न केवल उत्पादकों (किसान) और उपभोक्ताओं के लिए बल्कि हमारे ग्रह के लिए भी लाभदायक है।

मिलेट का महत्व

  • बहुत पौष्टिक: गेहूं और चावल की तुलना में मिलेट अधिक पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें प्रोटीन तथा मोटे चारे की मात्रा अधिक होती है, और पर्याप्त मात्रा में अमीनो एसिड होता है। अन्य अनाजों की तुलना में मिलेट में आहार संबंधी फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है। इसका उपयोग चिकित्सकीय उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है क्योंकि इसमें एंटी-ऑक्सीकर और शोथरोधी गुणों वाले कुछ पादपरासायनिक (Phytochemicals) होते हैं।
  • स्वास्थ्य हेतु लाभकारी: इसमें फाइबर, स्टार्च (मंड) रहित पॉलीसेकेराइड और कैल्सियम, आयरन, मैंगनीज, पोटैशियम, जिंक और मैग्नीशियम जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में होते है। इसमें विटामिन बी समुदाय भी है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लूटेन-मुक्त होने के कारण, यह मोटापे, मधुमेह और अन्य जीवनशैली संबंधी समस्याओं वाले लोगों के लिए एक उपयुक्त विकल्प है। महिलाओं और बच्चों द्वारा इसका सेवन पोषण संबंधी कमी से उबरने के लिए किया जा सकता है।
  • पारिस्थितिक रूप से संधारणीय: मिलेट की खेती के लिए रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होती। चूंकि कीट आमतौर पर मिलेट पर हमला नहीं करते, इसलिए उनके विकास के लिए कीटनाशकों की भी आवश्यकता नहीं होती।
  • जलवायु परिवर्तन से अप्रभावित: मिलेट एक आसानी से उगने वाली फसल है। इन्हें शुष्क भूमि (सूखा-प्रवण क्षेत्रों) और 50 डिग्री सेल्सियस तक के उच्च तापमान और खराब गुणवत्ता वाली मृदा में उगाया जा सकता है। ये मजबूत और जलवायु प्रतिरोधी फसलें हैं, जिनमें कार्बन और जल फुटप्रिंट (यह किसी उत्पाद के संभावित प्रभाव को परिभाषित करता है, जिसका आकलन उस उत्पाद के संपूर्ण जीवन-चक्र के दौरान ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन तथा जल संसाधनों की खपत और निम्नन के संदर्भ में किया जाता है।) का प्रभाव नगण्य होता है।

उपरोक्त सभी कारणों से इन्हें ‘चमत्कारी अनाज’ या ‘भविष्य की फसल’ कहा जाता है।

भारत और विश्व में मिलेट का उत्पादन

भारत में मिलेट की औसत उपज लगभग 1,239 किलोग्राम/हेक्टेयर है, जबकि वैश्विक स्तर पर मिलेट की औसत उपज 1,229 किलोग्राम/हेक्टेयर है। एशिया के कुल मिलेट उत्पादन में भारत का हिस्सा 80 प्रतिशत, जबकि दुनिया के कुल मिलेट उत्पादन में इसका हिस्सा 20 प्रतिशत है। अर्थात भारत में 170 लाख टन से अधिक मिलेट का उत्पादन होता है।

भारत को विश्व में मिलेट का सबसे बड़ा उत्पादक माना जाता है, यहां सामान्यतः सभी नौ ज्ञात मिलेट उगाए जाते हैं। भारत विश्व में मिलेट का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्ष 2021-22 में भारत में मिलेट के उत्पादन में पिछल वर्ष की तुलना में 27 प्रतिशत वृद्धि हुई। भारत में मिलेट के मुख्य उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु हैं। भारत में उत्पादित प्रमुख मिलेट हैं: Pearl millet, 60 प्रतिशत; Sorghum, 27 प्रतिशत; Finger millet, 11 प्रतिशत; और Small millets, 2 प्रतिशत। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार, छह राज्यों—राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और हरियाणा में कुल बाजरा उत्पादन का 79.6 प्रतिशत भाग का उत्पादन होता है। भारत मुख्य रूप से नेपाल, यू.के., यू.एस.ए., ट्यूनीशिया, मिस्र, सऊदी अरब, ओमान, यमन, लीबिया और यू.ए.ई. को मिलेट निर्यात करता है। विश्व में मिलेट के प्रमुख उत्पादक भारत, सूडान, नाइजर और नाइजीरिया हैं। निर्यात की जाने वाली मिलेट किस्मों में बाजरा, कूटू, कैनरी, ज्वार और रागी शामिल हैं।

महत्वपूर्ण सरकारी पहल

पिछले कुछ वर्षों में, भारत सरकार द्वारा किए गए कई उपायों, जैसे कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में संशोधन कर किसानों को बड़े क्षेत्रों में मिलेट उगाने के लिए प्रेरित करना और उन्नत कृषि तकनिकों का उपयोग करना ताकि मांग-आपूर्ति संतुलन बना रहे, के कारण मिलेट का उत्पादन काफी बढ़ गया है। परिणामस्वरूप, पिछले कुछ वर्षों में मिलेट के एमएसपी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

मिलेट उत्पादन और खपत के संबंध में कुछ अन्य प्रमुख सरकारी पहल इस प्रकार हैं:

  • वर्ष 2018 की शुरुआत में भारत सरकार ने मिलेट के उच्च पोषण स्तर को देखते हुए इसे ‘पोषक अनाज’ घोषित किया था।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) कार्यक्रम की शुरुआत के साथ, 28 राज्यों और दो संघ राज्यक्षेत्रों (जम्मू और कश्मीर, तथा लद्दाख) के सभी जिलों में एनएफएसएम पोषक-अनाज उप-मिशन लागू किया गया है। सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण और प्रदर्शन की सहायता से देश भर के किसानों को पोषक-अनाज के बारे में जागरूक किया गया है। यह उप-मिशन श्री अन्न (भारत में मिलेट की ब्रांडिंग) के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), उत्कृष्टता केंद्रों और बीज केंद्रों के गठन का समर्थन करता है।
  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के प्रमुख कृषि निर्यात संवर्धन निकाय एपीडा द्वारा पूरे विश्व में भारतीय मिलेट के निर्यात को बढ़ाने के लिए एक सर्व-समावेशी रणनीति बनाई गई। मिलेट के नौप्रेषण (शिपमेंट) को सुविधाजनक बनाने के लिए इस रणनीति को 2022 में लागू किया गया था।
  • दिसंबर 2021 में, नीति आयोग ने एक आशय पत्र (SoI) पर हस्ताक्षर करके संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी—वर्ल्ड फूड प्रोग्राम) के साथ साझेदारी की। इस साझेदारी के तहत मिलेट को एक प्रमुख फसल में शामिल करने पर जोर दिया गया। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र ने भारत को आईवाईएम 2023 के समारोह के दौरान वैश्विक मंच का उपयोग करते हुए पूरे विश्व में ज्ञान साझा करने का कार्यभार लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • भारत सरकार द्वारा पोषक अनाज के लाभों का प्रचार करने के लिए अनुसंधान और विकास का उपयोग किया गया है। स्टार्ट-अप और अन्य उद्यमियों को भी मिलेट की खपत को बढ़ावा देने के लिए मिलेट की व्यंजन विधि (रैसिपी) और मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने के लिए भारत सरकार का समर्थन मिल रहा है। 2018 और 2022 के बीच, भारत सरकार ने बाजरे की आठ जैव-फोर्टिफाइड किस्में जारी की।
  • सरकारी सहायता से फसल कटाई के बाद मूल्य संवर्धन किया गया। इससे स्थानीय स्तर पर मिलेट की खपत बढ़ी। सरकार ने मिलेट (या उसके उत्पादों) की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग के लिए भी सहायता की।
  • 20 दिसंबर, 2022 को संसद प्रांगण में सांसदों के लिए विशेष मिलेट लंच का आयोजन किया गया। विशेष रूप से तैयार किए गए इस मिलेट बुफे का उद्देश्य मिलेट के विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का प्रदर्शन करना, तथा भारत और पूरे विश्व में मिलेट की खपत को बढ़ावा देना था।
  • केंद्र द्वारा कुछ देशों को लक्षित करके लगभग 30 ई-कैटलॉग तैयार किए गए हैं। इन कैटलॉग में भारत में उत्पादित विभिन्न मिलेट से संबंधित उपयोगी जानकारी और उनके मूल्यवर्धित उत्पादों का संग्रह शामिल है। इसके अलावा, इसमें स्टार्ट-अप, आयातक, नियमित निर्यातक, एफपीओ आदि की सूची भी शामिल है। ये कैटलॉग आयातकों, निर्यातकों, हितधारकों, स्टार्ट-अप और अन्य देशों में भारतीय दूतावासों के बीच प्रसारित किए गए हैं।
  • मिलेट की मूल्यवर्धित शृंखला में 500 से अधिक स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) को राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना-कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र पुनरुद्धार हेतु लाभकारी दृष्‍टिकोण (आरकेवीवाई-रफ्तार) के तहत, भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान द्वारा लगभग 250 स्टार्ट-अप शुरू किए गए हैं। भारत में मिलेट उत्पादों का निर्यात लगातार बढ़ रहा है, जो क्रमशः वर्ष 2020-21 और 2021-22 में लगभग 27 और 34.32 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
  • खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने मिलेट की खपत को बढ़ावा देने के लिए कैंटीनों और सभी कार्यालयों में आयोजित होने वाली बैठकों के दौरान मिलेट के व्यंजन परोसना अनिवार्य कर दिया है। लक्ष्यित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) और मध्याह्न भोजन योजना जैसी योजनाओं के अंतर्गत श्री अन्न की खरीद बढ़ाने के लिए दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया है।
  • प्रधानमंत्री पोषण योजना के अंतर्गत, केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों और संघ राज्यक्षेत्रों के प्रशासनों से बच्चों में पोषण स्तर को सुधारने के लिए मिलेट से बने व्यंजन परोसने को कहा है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां मिलेट सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य है।
  • असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने मिलेट को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वयं के मिशन शुरू किए हैं।
  • हैदराबाद स्थित भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) को मिलेट से संबंधित सर्वोत्तम पद्धतियों, अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों को साझा करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र घोषित किया गया है।
  • अन्य योजनाओं में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा ईट राइट इंडिया अभियान, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआईएसएमबीपी), कृषि अवसंरचना निधि योजना (जो बाजरा प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों के लिए 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर ब्याज में छूट प्रदान करती है) और एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल (मिलेट और इसके उत्पादों को 10 राज्यों के 19 जिलों में ओडीओपी के रूप में पहचाना जाता है) शामिल हैं।
  • कुछ अन्य पहलों में भारत की जी-20 अध्यक्षता, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, मार्च 2023 में आयोजित वैश्विक मिलेट (श्री अन्न) सम्मेलन और सूरजकुंड मेला के दौरान मिलेट को बढ़ावा देना शामिल है। आम जन द्वारा मिलेट अपनाने के प्रति जागरूकता बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए दिल्ली हाट, आईएनए, नई दिल्ली में मिलेट्स एक्सपीरियेंस सेंटर (एमईसी) की शुरुआत की गई है।

निष्कर्ष

वैश्विक जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि के कारण, पूरे विश्व में कृषि खाद्य प्रणालियां खाद्यान्न की मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं। लोचदार अनाज होने के कारण, मिलेट विशाल आबादी की आहार-आपूर्ति हेतु एक अच्छा विकल्प है। पोषक तत्वों की उच्च मात्रा के कारण, वे उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं। इसलिए, पूरे विश्व में इनके उत्पादन को बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए।

आईवाईएम 2023 के समारोह के साथ, संयुक्त राष्ट्र द्वारा पूरे विश्व में मिलेट की खेती के लिए अधिक भूमि का प्रयोग करने के लिए आवश्यक पहल की गई है। चूंकि भारत विश्व में मिलेट का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसलिए यह मिलेट के महत्व को बढ़ावा देने, तथा इसकी घरेलू और वैश्विक मांग को विकसित करने के लिए व्यापक उपायों को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।

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