विदेश व्यापार नीति (एफटीपी), 2023 का भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा 31 मार्च, 2023 को प्रमोचन किया गया था। यह नीति 1 अप्रैल, 2023 से लागू हुई। इसने एफटीपी 2015-20 को प्रतिस्थापित किया है, जिसे कोविड-19 महामारी के बाद उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों के कारण मार्च 2020 में इसकी समाप्ति की तिथि के बाद विस्तार दिया गया था। इस नीति में कई नए पहलू शामिल किए गए हैं जैसे कि विभिन्न जिलों से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आधारिक स्तर पर ध्यान केंद्रित करना; सीमा पारीय ई-कॉमर्स निर्यात पर जोर देना; निर्यात अनुमोदन को संरक्षित करने हेतु आवश्यक लागत तथा समय में कमी करने के लिए व्यापार सरलीकरण; व्यापारिक (मर्चेंटिंग) संवर्धन और व्यापार के लिए भारतीय रुपये (आईएनआर) में अधिक भुगतान को प्रोत्साहित करना आदि। 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के संयुक्त निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, एफटीपी 2023 का घोषित प्रयोजन भारत के जिंसों या पण्यों (वे वस्तुएं और सेवाएं जिनके लिए मांग हो और जिनसे मानव इच्छा की पूर्ति हो।) एवं सेवाओं के निर्यात में तेज वृद्धि को बढ़ावा देना है। 2023 में भारत का कुल निर्यात, जिसमें माल और सेवाएं दोनों शामिल हैं, 760 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक हो गया था।
एफटीपी 2023 के लिए मुख्य उपागम निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित हैं:
- छूट के लिए प्रोत्साहन;
- निर्यातक, राज्य, जिले और भारतीय मिशनों के सहयोग के माध्यम से निर्यात संवर्धन;
- व्यापार करने में सुगमता (ईओडीबी), लेन-देन लागत में कमी और ई-पहलें; और
- उभरते क्षेत्र—ई-कॉमर्स विकासशील जिलों को निर्यात केंद्रों के रूप में विकसित करना और विशेष रसायन, जैविक, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी (स्कोमेट) नीति को सरल और अधिक कारगर बनाना।
एफटीपी 2023 एक ऐसा दस्तावेज है जो स्थापित कार्यक्रमों को बनाए रखते हुए निर्यात को सुगम बनाता है, साथ ही बदलती व्यापार आवश्यकताओं के प्रति लचीला एवं अनुकूलनीय भी है। एफटीपी 2015-20 में इसके आरंभिक प्रकाशन के बाद ही परिवर्तन कर दिए गए, जबकि नए एफटीपी को बनाने की घोषणा भी नहीं की गई थी, जो इससे उभरने वाली परिस्थितियों के अनुसार सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया करती। भविष्य में, आवश्यकता पड़ने पर एफटीपी में संशोधन किए जाएंगे। एफटीपी को समय-समय पर अद्यतित करने और इस प्रक्रिया को सरल और कारगर बनाने के लिए व्यापार एवं उद्योग की प्रतिक्रिया को शामिल करना एक सतत प्रक्रिया होगी।
एफटीपी 2023 का लक्ष्य प्रक्रिया स्वचालन और पुनर्गठन करना होगा ताकि इसे सुगम बनाया जा सके, जिससे निर्यातकों के लिए व्यापार करना सरल हो सके। इसके अलावा, यह निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और जिलों के साथ काम करने, ई-कॉमर्स से निर्यात को सक्षम बनाने और स्कोमेट के तहत दोहरे उपयोग वाली उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकीय वस्तुओं जैसे नए क्षेत्रों पर केंद्रित होगा। नए एफटीपी द्वारा एक बार वाली नई माफी योजना शुरू की गई है ताकि निर्यातकों को अपने लंबित अनुज्ञप्तियों को बंद करने और नए सिरे से व्यापार शुरू करने की अनुमति मिल सके। सुपरिचित निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तु (ईपीसीजी) और अग्रिम प्राधिकरण कार्यक्रमों को सरल और कारगर बनाकर, एफटीपी 2023 निर्यात को बढ़ावा देगा और व्यापारियों के लिए भारत से व्यापार करना संभव बनाएगा।
विदेश व्यापार नीति 2023: महत्वपूर्ण बिंदु
प्रक्रिया पुनर्गठन और स्वचालनः निर्यातक नए एफटीपी में विभिन्न प्रकार के अनुमोदनों के लिए जोखिम प्रबंधन प्रणालियों के साथ स्वचालित आईटी प्रणालियों पर अधिक विश्वास कर रहे हैं। नीति ने निर्यात संवर्धन और विकास पर बल दिया है, जो प्रोत्साहन-आधारित प्रणाली से हटकर एक ऐसी प्रणाली की ओर स्थानांतरित हो रहा है जो प्रकृति में सुविधाजनक है और प्रौद्योगिकीय समन्वय एवं सहयोगी अवधारणाओं पर आधारित रही है। निर्यातकों की सुविधा के लिए पर्याप्त प्रक्रिया का पुनर्गठन एवं प्रौद्योगिकीय सक्षमता के अलावा, एफटीपी 2015-2020 के तहत कई सतत योजनाएं, जैसे कि अग्रिम प्राधिकरण, ईपीसीजी और अन्य, जारी रहेंगी। पूर्ववर्ती ‘व्यापार करने में सुगमता’ पहलों का विस्तार करते हुए, एफटीपी 2023 ने ऑनलाइन और कागज रहित व्यवस्था में कार्यान्वयन तकनीकों को संहिताबद्ध किया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) तथा अन्य के लिए शुल्क संरचनाओं में कमी और आईटी आधारित कार्यक्रमों के साथ निर्यात लाभ प्राप्त करना सरल हो जाएगा।
हस्तसंचालित अंतरापृष्ठ (इंटरफेस) की आवश्यकता को समाप्त करने हेतु अब से निर्यात उत्पादन के लिए शुल्क में छूट संबंधी योजनाओं को क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से नियम-आधारित आईटी तंत्र परिवेश में क्रियान्वित किया जाएगा। अग्रिम और ईपीसीजी योजनाओं से संबंधित सभी प्रक्रियाएं, जैसे कि निर्गम, पुनः प्रमाणीकरण और कार्यकारी अधिकारी (ईओ) के लिए विस्तार आदि, क्रमशः, चरणबद्ध रूप से संबोधित किए जाएंगे। जोखिम प्रबंधन संरचना के भीतर पाए गए मामलों की हस्तचालित रूप से जांच की जाएगी, लेकिन ऐसा अनुमान है कि अधिकांश आवेदकों को शुरू में ‘स्वचालित’ तरीके से शामिल किया जाएगा।
निर्यात उत्कृष्टता के शहरः पहले से ही नामित 39 शहरों के साथ-साथ चार अतिरिक्त शहरों—फरीदाबाद, मिर्जापुर, मुरादाबाद और वाराणसी को निर्यात उत्कृष्टता के शहर (TEE) के रूप में नामित किया गया है। TEEs को ईपीसीजी योजना के तहत निर्यात पूर्ति के लिए सामान्य सेवा प्रदाता (सीएसपी) प्रोत्साहनों से लाभ होगा, और बाजार पहुंच पहल (एमएआई) योजना के तहत निर्यात संवर्धन निधि तक पहुंच के लिए प्राथमिकता प्राप्त होगी। यह अनुमान लगाया गया है कि इससे हथकरघा, हस्तशिल्प और कालीनों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
निर्यातकों को मान्यताः निर्यातक व्यवसाय-प्रतिष्ठान (फर्म), जो अपने निर्यात प्रदर्शन के आधार पर ‘पद’ (स्टेटस) की मांगों को पूरा करेंगे, अब सर्वोत्तम प्रयास के आधार पर क्षमता निर्माण परियोजनाओं में सहयोग करने में सक्षम होंगे। ‘इच वन टीच वन’ अवधारणा के एक समान मॉडल पाठ्यक्रम के आधार पर इच्छुक व्यक्तियों को व्यापार-संबंधी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए दो-सितारा और उच्चतर पद धारकों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे भारत को 2030 से पहले कुशल जन-बल का एक संघ विकसित करने में सहायता मिलेगी जो 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में सहायक हो सकती है। पद मान्यता मानकों का पुनः अंशांकन करने से निर्यात करने वाली अधिक कंपनियों के लिए चार एवं पांच सितारा की रेटिंग हासिल करना संभव हो गया, जिससे निर्यात बाजारों में ब्रांडिंग के अवसरों में वृद्धि हुई है।
जिलों से निर्यात को बढ़ावा: डिस्ट्रिक्ट्स एज एक्स्पोर्ट हब्स (डीईएच) एक पहल है जिसका उद्देश्य जिला स्तर पर निर्यात को बढ़ावा देना और आधारिक स्तर पर व्यापारिक व्यवस्थाओं के विकास में तेजी लाना है। एफटीपी द्वारा यह कार्य राज्य सरकारों के सहयोग से किया जा रहा है। राज्य निर्यात संवर्धन समिति और जिला निर्यात संवर्धन समिति नामक एक संस्थागत तंत्र का उपयोग निर्यात-योग्य माल एवं सेवाओं की पहचान करने के लिए किया जाएगा। यह जिला स्तर पर व्यवसाय संबंधी चिंताओं को हल करने में और सहायता करेगा। प्रत्येक जिले को जिला-विशिष्ट निर्यात कार्य योजनाएं बनाने की आवश्यकता होगी। इन योजनाओं में विनिर्दिष्ट माल एवं सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उनकी विनिर्दिष्ट रणनीति का विवरण होना चाहिए।
स्कोमेट नीति को सरल और कारगर बनानाः भारत ने ‘निर्यात नियंत्रण’ व्यवस्था को अधिक प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है क्योंकि निर्यात नियंत्रण व्यवस्था वाले देशों के साथ भारत के संबंध एवं सहयोग मजबूत हुए हैं। हितधारकों को स्कोमेट के बारे में अधिक जागरूक तथा सुशिक्षित किया गया है। इसलिए, अंतरराष्ट्रीय संधियों तथा समझौतों को लागू करने में भारत को सक्षम बनाने हेतु नीतिगत रूपरेखा को मजबूत किया जा रहा है। स्कोमेट के तहत नियंत्रित खाद्य पदार्थों और प्रौद्योगिकियों के निर्यात को सक्षम बनाने के अलावा, एक सुदृढ़ निर्यात नियंत्रण तंत्र भारतीय निर्यातकों को दोहरे उपयोग, उच्च-स्तरीय वस्तुओं तथा प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्रदान करेगा।
ई-कॉमर्स निर्यात को सुविधाजनक बनाना: ई-कॉमर्स से निर्यात एक आशाजनक क्षेत्र रहा है, जिसके लिए पारंपरिक ऑफलाइन व्यापार (भौतिक रूप से व्यापार करना) की तुलना में अलग नीतिगत प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है। कई अनुमानों के अनुसार, 2030 तक ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात की संभावना 200 से 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच पहुंचना अपेक्षित है। एफटीपी 2023 की घोषणा से पहले ही, निर्यात अधिकार, बही खाता लेखन, भुगतान समाधान और प्रतिफल नीतियों सहित संबंधित तत्वों के साथ, ई-कॉमर्स हब बनाने का लक्ष्य एवं दिशानिर्देश निर्धारित कर लिए गए थे। इसकी शुरुआत के लिए कूरियर के माध्यम से ई-कॉमर्स निर्यात पर खेप-वार सीमा पहले ही एफटीपी 2023 में 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। निर्यातकों से मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर इस सीमा को आगे संशोधित किया जाएगा या अंततः समाप्त कर दिया जाएगा।
इंडियन कस्टम्स इलेक्ट्रॉनिक गेटवे (आईसीईगेट), केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के भारतीय सीमा शुल्क का राष्ट्रीय पोर्टल है जो व्यापार, मालवाहक और अन्य व्यापारिक भागीदारों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से ई-फाइलिंग करने संबंधी सेवाएं प्रदान करता है। कूरियर और डाक निर्यात को आईसीईगेट के साथ एकीकृत करने के बाद निर्यातक एफटीपी के अधीन लाभ प्राप्त कर सकेंगे। निर्यात और अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श पर ई-कॉमर्स कार्य समिति निर्यात/आयात व्यवस्था को संबोधित करते हुए ई-कॉमर्स नीति को व्यापक रूप से तैयार करने के लिए अपनी अनुशंसाएं दे रही है। शिल्पकारों, बुनकरों, वस्त्र निर्माताओं, रत्न और आभूषण डिजाइनर और अन्य लोगों की क्षमता का निर्माण—व्यापक पहुंच (आउटरीच) और प्रशिक्षण पहलों के माध्यम से किया जाएगा, जो उन्हें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के साथ एकीकृत करने में सक्षम बनाएगा और निर्यात को बढ़ावा देगा।
निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तु (ईपीसीजी) योजना में सरलीकरण: ईपीसीजी योजना के संबंध में इसका और अधिक युक्तिकरण किया जा रहा है। यह योजना निर्यात उत्पादन के लिए शून्य सीमा शुल्क पर पूंजीगत वस्तुओं के आयात की अनुमति देगी।
इस योजना के कुछ प्रमुख निहितार्थ इस प्रकार हैं:
पीएम मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) पार्क योजना को एक अतिरिक्त योजना के रूप में शामिल किया गया है, जो निर्यातकों को ईपीसीजी की सामान्य सेवा प्रदाता (सीएसपी) योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र बनाएगी।
डेयरी क्षेत्र को अपनी प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, डेयरी क्षेत्र को औसत निर्यात दायित्व बनाए रखने से छूट दी जाएगी।
ईपीसीजी योजना के तहत, ‘हरित प्रौद्योगिकी उत्पादों’ के रूप में वर्गीकृत कुछ उत्पादों, जैसे कि सभी प्रकार के बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी), वर्टिकल फार्मिंग मशीनरी, अपशिष्ट जल उपचार तथा पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन प्रणाली और वर्षा जल निस्यंदन (फिल्टर), और हरित हाइड्रोजन, को निर्यात दायित्व आवश्यकता से छूट दी जाएगी।
अग्रिम प्राधिकरण योजना के अंतर्गत सुविधा: डोमेस्टिक टैरिफ एरिया (डीटीए) इकाइयों के पास अग्रिम अनुमोदन होते हैं और उनके पास ऐसी योजना तक पहुंच है जो विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) या निर्यातोन्मुख इकाई (ईओयू) योजनाओं के अनुकूल है। इन्हें निर्यात वस्तुओं के निर्माण के लिए कच्चे माल के सीमाशुल्क से छूटप्राप्त आयात की अनुमति होगी। डीटीए का तात्पर्य भारत के उस संपूर्ण क्षेत्र से है जो एसईजेड और ईओयू से बाहर स्थित है। विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) अधिनियम, 2005 के अनुसार, एसईजेड एक परिसीमित सीमाशुल्क से छूटप्राप्त क्षेत्र है, जिसे व्यापार संचालन, शुल्कों और टैरिफ के प्रयोजन से एक विदेशी राज्यक्षेत्र माना गया है। एफटीपी के अनुसार, ईओयू योजना मूल रूप से माल एवं सेवाओं के अपने संपूर्ण उत्पादन का निर्यात करने के लिए है। ईओयू का नियमन एफटीपी की शाखा, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा किया जाता है। हालांकि, डीटीए इकाई को घरेलू और निर्यात उत्पादन दोनों के लिए कार्य करने की क्षमता प्राप्त है।
कुछ सरलीकरण तत्व
- निर्यात आदेशों के निष्पादन में शीघ्र कार्रवाई करने के लिए, स्व-घोषणा के आधार पर परिधान एवं वस्त्र क्षेत्र में विशेष अग्रिम प्राधिकरण योजना (SAAS) को विस्तारित किया गया है। इसके लिए तय समय-सीमा के भीतर मानदंड तैयार किए जाएंगे। SAAS आगत वस्त्र, परिधान के अभिप्रेषित सामान के लिए अस्तर और सहायक वस्त्र सामग्री के सीमाशुल्क से छूटप्राप्त आयात की अनुमति देता है। यह प्राधिकार, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा तय किए गए मानक आगत-निर्गत मानदंडों के आधार पर जारी किया जाता है।
- वर्तमान में, अधिकृत आर्थिक संचालकों के अलावा, दो सितारा या उससे उच्च दर्जा प्राप्त पदधारकों को आगत-निर्गत मानदंड तय करने के लिए स्व-अनुसमर्थन योजना का लाभ मिलता है। स्व-अनुसमर्थन योजना के अंतर्गत, मानदंडों के अनुसमर्थन के लिए दिल्ली में स्थित मानदंड समिति की किसी भी प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना स्व-घोषणा के आधार पर डीजीएफटी द्वारा एक अग्रिम लाइसेंस प्रदान किया जाएगा।
मर्चेंटिंग ट्रेड: एफटीपी 2023 में भारत को अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र बनाने के प्रयास में मर्चेंटिंग ट्रेड के लिए उपाय शामिल किए गए हैं।
मर्चेंटिंग ट्रेड में, एक भारतीय कंपनी किसी विदेशी देश (उदाहरण के लिए देश क) में स्थित व्यक्ति से माल खरीदती है और उसी माल को किसी अन्य विदेशी देश (उदाहरण के लिए देश ख) में स्थित क्रेता को बेचती है, जबकि माल भौतिक रूप से भारत में नहीं आता। मर्चेंटिंग ट्रेड में, भारत केवल एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
इस नई निर्यात नीति के अंतर्गत, अब प्रतिबंधित और निषिद्ध वस्तुओं का मर्चेंटिंग ट्रेड संभव होगा। हालांकि, यह उन उत्पादों या वस्तुओं पर लागू नहीं होगा जिन्हें कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एन्डेन्जर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फॉना एंड फ्लोरा (सीआईटीईएस) और स्कोमेट की सूचियों में सूचीबद्ध किया गया हो। इसके अलावा, यह आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुपालन के अधीन होगा। यह अंततः भारतीय उद्यमियों को गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT City) जैसे विनिर्दिष्ट स्थानों को महत्वपूर्ण वाणिज्य केंद्रों, जैसे कि दुबई, सिंगापुर और हांगकांग में हैं, में परिवर्तित करने में सक्षम करेगा।
माफी योजनाः निर्यातकों की समस्याओं संबंधी मदद करने हेतु, सरकार मुकदमेबाजी को कम करने और विश्वास के आधार पर संबंध विकसित करने के लिए पूर्णतया समर्पित है। निर्यात दायित्वों पर चूक को संबोधित करने के लिए, सरकार ने विवाद से विश्वास रणनीति को ध्यान में रखते हुए, एफटीपी 2023 के तहत एक विशिष्ट एक बार माफी वाली योजना बनाई है। इसका उद्देश्य कर विवादों का सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटान करना है। इस योजना का लक्ष्य उन निर्यातकों को राहत प्रदान करना है जो लंबित मामलों से संबंधित अत्यधिक शुल्क और ब्याज शुल्क के कारण दबाव में हैं। यह उन निर्यातकों को राहत देगा जो ईपीसीजी और अग्रिम प्राधिकार के तहत अपने दायित्वों को चुकाने में असमर्थ रहे हैं। ऐसे सभी सीमा शुल्कों के भुगतान, जिन्हें अधूरे निर्यात दायित्व (ईओ) के अनुपात में छूट प्राप्त है, को विनिर्दिष्ट प्राधिकार वाले ईओ की सहमति से चूक के सभी लंबित मामलों को नियमित किया जाएगा। इस योजना के तहत, देय ब्याज इन छूट प्राप्त शुल्कों के 100 प्रतिशत तक सीमित होगा। हालांकि, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क और अतिरिक्त सीमा शुल्क के हिस्से पर कोई ब्याज देय नहीं होगा, जिससे निर्यातकों को राहत मिलेगी क्योंकि उन पर ब्याज का भार काफी कम हो जाएगा।
निष्कर्ष
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, यद्यपि भारत के एफटीपी 2023 के माध्यम से कई मुद्दों को संबोधित किया गया है, तथापि भारत को 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात तक पहुंचने के अपने लक्ष्य हेतु वास्तविक मैक्रोइकोनोमिक फाउंडेशंस (राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे आर्थिक कानून जो तार्किक रूप से आर्थिक एजेंटों, अर्थात परिपाट/व्यक्ति, व्यवसाय-प्रतिष्ठान, सरकारों, और केंद्रीय बैंक, के व्यवहार से स्वतंत्र हैं; ये समष्टि अर्थशास्त्र [Macroeconomic] की समष्टि आर्थिक नींव [Macroeconomic Foundations] कहलाती हैं।) पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने में स्थिरता मूल्य और बचत दर मुख्य प्राथमिकताएं होनी चाहिए। इस महत्वपूर्ण कारक को बेहतर बनाने के लिए बढ़े हुए राजकोषीय अनुशासन और निजी क्षेत्र के उपयुक्त प्रोत्साहन का आकलन किया जाना चाहिए। इसके विपरीत, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए राजकोषीय अनुशासन और ठोस मौद्रिक नीति दोनों की आवश्यकता होगी, क्योंकि बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण मुद्रा का और अधिक मूल्यह्रास हो जाएगा।
इसके अलावा, एफटीपी 2023 सेवा निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयासों पर निष्क्रिय रहा है, जबकि भारतीय सेवा निर्यात उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। 2021-22 में सेवा निर्यात, जिसका मूल्य लगभग 270 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, का माल निर्यात में, जो 372 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान था। इस शानदार उपलब्धि के बावजूद, एफटीपी 2023 में सेवाओं के निर्यात के संबंध में बहुत कुछ नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य सेवा विशेषज्ञों के बड़े योगदान के बिना प्राप्त करना संभव नहीं होगा। वैश्विक आघातों से निपटने हेतु निर्यात में अपने लचीलापन बढ़ाने के माध्यम से, विविधीकरण भारत की कुछ उद्योगों और बाजारों पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है।
इन सब के अलावा, एफटीपी 2023 एक गतिशील नीति दस्तावेज है जो भारत के निर्यात को बढ़ाने और भविष्य में इसके बहुमुखी विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। ऐसी नीति, जो सहयोग, तकनीकी समन्वय और व्यापार करने में सुगमता पर दृढ़ता से केंद्रित है, से निर्यात क्षेत्र के विस्तार का समर्थन करने का अनुमान है। यह एक ऐसी व्यवस्था को संवर्धित करेगा जिससे एमएसएमई और अन्य कंपनियों के लिए निर्यात से लाभ प्राप्त करना सरल हो जाएगा। कुल मिलाकर, एफटीपी 2023 भारत के निर्यात को नई ऊंचाइयों पर ले जाने और देश को निर्यात क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के लिए एक कार्य योजना के रूप में कार्य करेगा।
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