भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) आपदा जोखिमों के न्यूनीकरण के प्रबंधन हेतु सहायता करने के लिए अलग-अलग कालावधियों एवं खनिज पैमाने पर विभिन्न मौसम संबंधी आपदा की घटनाओं को निगरानी और उनकी प्रभाव-आधारित पूर्व चेतावनी सेवाएं प्रदान करता है। इन सेवाओं के एक भाग के रूप में भारत मौसम विभाग ने तेरह सबसे खतरनाक मौसम संबंधी घटनाओं—अर्थात शीत लहर, उष्ण लहर, बाढ़, आकाशीय बिजली (तड़ित), हिमपात, धूल का चक्रवात, ओलावृष्टि, आंधी तूफान, कोहरा, हवा का खतरा, अत्यधिक वर्षा, सूखा और चक्रवात जो मृत्यु या जीवन हानि, चोट अथवा स्वास्थ्य प्रभाव, संपत्ति की क्षति, आजीविका तथा रोजगार की हानि, सामाजिक और आर्थिक बाधाओं या पर्यावरणीय क्षति के कारण बनते हैं—हेतु भारत का जलवायु संकट और भेद्यता एटलस तैयार किया है। इस एटलस का उद्देश्य आपदा प्रबंधन क्षेत्रों के उपयोगकर्ताओं के लिए निवारक एवं अनुकूलनीय उपाय करने हेतु पूर्वोक्त सबसे खतरनाक मौसमों के प्रति सुभेद्य या संवेदनशील जिलों की पहचान करना है। वेब संस्करण के रूप में यह एटलस आईएमडी, पुणे की वेबसाइट (www.imdpune.gov.in/hazardatlas/index.html) पर उपलब्ध है।
एटलस की विशेषताएं
भारत का जलवायु संकट और भेद्यता एटलस कुल 640 मानचित्रों का समावेश करता है। यह विभिन्न कालावधियों में खतरनाक मौसमों के आंकड़े प्रदान करने हेतु पूर्वोल्लिखित तेरह मौसमों के अलग-अलग मानचित्र प्रदान करता है। WebGIS में प्रस्तुत इन मानचित्रों पर कर्सर रखकर देश के किसी भी राज्य के किसी वांछित जिले के पैरामीटर के मूल्यों की जानकारी सहित अन्य जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जिलेवार तैयार किए गए इन मानचित्रों में प्रत्येक जिले को एक विशेष पहचान (संख्यात्मक) दी गई है। इसके अलावा, प्रत्येक मानचित्र में किसी वांछित जिले की खोज करने हेतु एक विशेष पैनल भी दिया गया है।
मानचित्रण हेतु प्रयुक्त पद्धति
संकट के मानचित्रों को विभिन्न सांख्यिकीय एवं गणितीय पद्धतियों का प्रयोग कर जलवायु के डेटा, और जनसंख्या तथा आवास घनत्व संबंधी जनगणना के डेटा के आधार पर तैयार किया गया है, जबकि जलवायु भेद्यता के मानचित्र खतरनाक मौसम की घटनाओं के लिए आईएमडी के वार्षिक प्रकाशन Annual Disastrous Weather Reports के आपदा, जो मृत्यु और अन्य क्षतियों के रूप में हानि पहुंचाती है, डेटा सहित अन्य संस्थाओं के डेटा के आधार पर तैयार किए गए हैं। उदाहरण के लिए, ‘वार्षिक आपदादायक मौसम घटना’, ‘जलवायवी सामान्य (क्लाइमेटोलॉजिकल नॉर्मल्स)’ आदि तथा जनगणना कार्यालय के ‘जनसंख्या घनत्व एवं आवास घनत्व के आंकड़े एवं आईएमडी के अधीनस्थ आरएसएमसी की रिपोर्ट के ‘तूफान महोर्मि आंकड़े’।
सामान्यीकृत भेद्यता सूचकांक की गणना
प्रत्येक जिले के जलवायु संकट एवं भेद्यता का अनुमान लगाने के लिए आईएमडी द्वारा एक सामान्यीकृत भेद्यता सूचकांक बनाया गया है, जिसकी गणना करने के लिए आईएमडी ने प्राप्त संकेतक मूल्यों को निम्नानुसार सामान्यीकृत किया है—
तत्पश्चात, सामान्यीकृत मूल्यों के अंतर्गत आपदा मूल्यों को 0.0 से 1.0 की रेंज की सीमा में मानकीकृत करते हुए चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है—शून्य (0.0), कम (0.0 < VI <0.25), मध्यम (0.25 < VI < 0.50), उच्च (0.50 < VI < 0.75) और अति उच्च (0.75 < VI < 1)।
एटलस के मुख्य अंश
इस एटलस में जलवायु संकट और जलवायु भेद्यता के अंतर्गत प्रत्येक मौसमी घटना के लिए अलग-अलग मानचित्र (अर्थात दो-दो, जबकि धूल के चक्रवात, कोहरे और ओलावृष्टि के लिए 26-26) दिए गए है, जो समान्यीकृत भेद्यता सूचकांक पर आधारित भेद्यता पैमाने की विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत महीनों एवं वार्षिक रूप से खतरनाक मौसम की घटनाओं से प्रभावित जिलों और आबादी के संबंध में निम्नलिखित आंकड़े प्रदान करते हैं:
- सूखाः एटलस के अनुसार, सूखे की दृष्टि से मध्य प्रदेश सर्वाधिक संवेदनशील राज्य है जिसके 87 प्रतिशत जिले तथा 93 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक संवेदनशील हैं, जबकि 27 प्रतिशत जिले तथा 32 प्रतिशत आबादी अत्यधिक संवेदनशील, और 19 जिले अधिक से अत्यधिक संवेदनशील हैं। इस श्रेणी में मध्य प्रदेश के पश्चात क्रमशः उत्तर प्रदेश (15 जिले), गुजरात (14 जिले), और कर्नाटक (14 जिले) हैं।
- आंधी तूफान: आंधी तूफान के प्रति देश के 42 प्रतिशत जिले और 35 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक संवेदनशील तथा 8 प्रतिशत जिले एवं आबादी अत्यधिक संवेदनशील हैं। असम और संघ राज्यक्षेत्र जम्मू और कश्मीर (प्रत्येक के 12 जिले अधिक से अत्यधिक संवेदनशील), और त्रिपुरा (8 जिले) अत्यधिक संवेदनशील हैं।
- शीत लहरः देश की 40 प्रतिशत आबादी तथा 36 प्रतिशत जिले शीत लहर के प्रति मध्यम से अत्यधिक संवेदनशील, और 24 प्रतिशत आबादी तथा 16 प्रतिशत जिले अत्यधिक संवेदनशील हैं। देश में शीत लहरों के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील उत्तर प्रदेश (75 जिले) है।
शीत लहर को परिभाषित करने के लिए आईएमडी द्वारा अपनाए गए मानदंड निम्नलिखित हैं:
क. शीत लहर की स्थिति तब मानी जाती है जब किसी स्टेशन का न्यूनतम तापमान मैदानी इलाकों के लिए 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 0 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो।
(i) प्रस्थान के आधार पर
शीत लहरः सामान्य से ऋणात्मक (नेगेटिव) प्रस्थान 4.5 डिग्री सेल्सियस से 6.4 डिग्री सेल्सियस।
प्रचंड शीत लहर: सामान्य से ऋणात्मक प्रस्थान 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक।
(ii) वास्तविक न्यूनतम तापमान के आधार पर (केवल मैदानी स्टेशनों के लिए)
शीत लहरः जब न्यूनतम तापमान होता है </ = 04 डिग्री सेल्सियस)।
प्रचंड शीत लहर: जब न्यूनतम तापमान </ = 02 डिग्री सेल्सियस हो।
ख. तटीय स्टेशनों के लिए शीत लहर की स्थिति
जब किसी स्टेशन पर न्यूनतम तापमान प्रस्थान -4.5 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होता है, तो “शीत लहर” का वर्णन किया जा सकता है यदि न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो।
- बाढ़ः संपूर्ण देश में 30 प्रतिशत जिले और 40 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक संवेदनशील है, तथा वार्षिक रूप से 6 प्रतिशत जिले और आबादी बाढ़ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। राज्यों की स्थिति अनुसार, असम (23 प्रतिशत जिले अधिक से अत्यधिक संवेदनशील) बाढ़ के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील राज्य है।
- धूल का चक्रवात: आंधी के प्रति देश के 15 प्रतिशत जिले तथा 19 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक, और 2 प्रतिशत जिले और आबादी अत्यधिक संवेदनशील हैं। आंधी की घटनाओं के प्रति उत्तर प्रदेश (3 जिले अधिक से अत्यधिक) तथा असम (2 जिले अधिक से अत्यधिक) सर्वाधिक संवदेनशील राज्य हैं।
- चक्रवातः चक्रवात के प्रति देश के 14 प्रतिशत जिले और 20 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक रूप से, जबकि 4 प्रतिशत जिले तथा 7 प्रतिशत आबादी अधिक से अत्यधिक रूप से संवेदनशील हैं। पूर्वी तट के अधिकांश तटीय जिले (तमिलनाडु 11, आंध्र प्रदेश 9, ओडिशा 6 और पश्चिम बंगाल 3) चक्रवात के प्रति अधिक से अत्यधिक रूप से संवेदनशील हैं।
चक्रवात के लिए आंकड़ा संग्रहण हेतु आईएमडी द्वारा विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में निम्नदाब प्रणालियों को वर्गीकृत करने के लिए अपनाए गए मानदंडों का प्रयोग उत्तर हिंद महासागर के ऊपर चक्रवाती विक्षोभों के वर्गीकरण हेतु अपनाए गए हैं, जो इस प्रकार हैं—
निम्न दबाव क्षेत्रः 17 नॉट्स (<31 किमी/घंटा) से अधिक नहीं
अवदाब (डी/D): 17 से 27 नॉट्स (31-49 किमी/घंटा)
गहरा अबदाब (डीडी/DD: 28 से 33 नॉट्स (50-61 किमी/घंटा)
चक्रवाती तूफान (सीएस/CS): 34 से 47 नॉट्स (62-88 किमी/घंटा)
प्रचंड चक्रवाती तूफान (एससीएस/SCS): 48 से 63 नॉट्स (89-117 किमी/घंटा)
अति प्रचंड चक्रवाती तूफान (वीसीएस/SCS): 64 से 119 नॉट्स (118-221 किमी/घंटा)
महाचक्रवाती तूफान : 120 नॉट्स और अधिक (>/= 222 किमी/घंटा)
इसके साथ ही एटलस में चक्रवात वापसी अवधि के मानचित्र भी दिए गए हैं। चक्रवात वापसी अवधि, वह आवृत्ति होती है जिस पर जिले के चारों ओर एक निर्दिष्ट बफर जोन के भीतर दिए गए स्थान की एक निश्चित दूरी के भीतर एक निश्चित चक्रवात की तीव्रता की उम्मीद की जा सकती है। इस एटलस में आईएमडी ने चक्रवात वापसी अवधि का बफर जोन 50 एनएम/Nm को माना है।
- उष्ण लहरः देश में 13 प्रतिशत जिले और 15 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक, तथा 4 प्रतिशत जिले एवं 7 प्रतिशत आबादी उष्ण या उष्णता लहरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। उष्णता लहरों के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील राज्यों में राजस्थान (15 जिले) और आंध्र प्रदेश (13 जिले) हैं।
उष्ण लहर को परिभाषित करने हेतु आईएमडी द्वारा अपनाए गए मानदंड
उष्ण लहर की स्थिति तब मानी जाती है जब किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों के लिए कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक पहुंच जाता है।
क. सामान्य से प्रस्थान के आधार पर
उष्ण लहरः सामान्य से प्रस्थान 4.5 डिग्री सेल्सियस से 6.4 डिग्री सेल्सियस
प्रचंड उष्ण लहरः सामान्य से प्रस्थान > 6.4 डिग्री सेल्सियस
ख. वास्तविक अधिकतम तापमान के आधार पर
उष्ण लहरः जब वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस हो
प्रचंड उष्ण लहरः जब वास्तविक अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस हो
ग. तटीय स्टेशनों के लिए उष्ण लहर का वर्णन करने वाले मानदंड
जब अधिकतम तापमान प्रस्थान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस या अधिक हो, तो उष्ण लहर का वर्णन किया जा सकता है, बशर्ते वास्तविक अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस या अधिक हो।
- ओलावृष्टिः ओला वृष्टि के प्रति देश में 10 प्रतिशत जिले तथा 6 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक, और 3 प्रतिशत जिले एवं 2 प्रतिशत आबादी अत्यधिक संवेदनशील हैं। ओला वृष्टि के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील राज्यों में उत्तराखंड (7 जिले) और संघ राज्यक्षेत्र जम्मू और कश्मीर (5 जिले) शामिल हैं।
- कोहराः देश में वार्षिक रूप से 8 प्रतिशत जिले और 7 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक तथा 2 प्रतिशत जिले और आबादी अत्यधिक रूप से कोहरे के प्रति संवेदनशील हैं। दिसंबर के महीने में दिल्ली के अधिकतम तथा उत्तर प्रदेश के कुछ जिले; जनवरी में दिल्ली के सर्वाधिक, उत्तर प्रदेश तथा त्रिपुरा में कई तथा हरियाणा, पश्चिम बंगाल एवं मणिपुर के कुछ जिले कोहरे के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।
- आकाशीय बिजली/तड़ित: आकाशीय बिजली के मामले में, वार्षिक रूप से देश के 6 प्रतिशत जिले तथा 4 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक, और 4 प्रतिशत जिले तथा 3 प्रतिशत आबादी अत्यधिक रूप से संवेदनशील हैं। आकाशीय बिजली के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील राज्यों में ओडिशा (20 जिले) शीर्ष पर है।
- हिमपातः हिमपात की घटनाओं के प्रति देश में 5 प्रतिशत जिले तथा 3 प्रतिशत आबादी मध्यम से अत्यधिक संवेदनशील तथा 4 प्रतिशत जिले एवं 2 प्रतिशत आबादी अत्यधिक संवेदनशील हैं। संघ राज्यक्षेत्र जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख (19 जिले) और हिमाचल प्रदेश (8 जिले) हिमपात के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील हैं।
- हवा का खतरा: देश में 44 प्रतिशत जिले और 46 प्रतिशत आबादी हवा के खतरे के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। ओडिशा के अधिकतम तटीय जिले, आंध्र प्रदेश के दक्षिणी तटीय जिले और तमिलनाडु के उत्तरी तटीय जिले, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात तथा पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ जिले 55 मील/सेकंड (50 वर्षों के प्रयागमन काल का चरम मान) से तीव्र गति से चलने वाली अत्यधिक तीव्र हवाओं को झेलते हैं।
- अत्यधिक वर्षाः इस क्षेत्र में, देश के 46 प्रतिशत जिले तथा 44 प्रतिशत जिले मध्यम से अत्यधिक संवेदनशील हैं। संपूर्ण पश्चिमी तट के सभी जिले, असम, मेघालय, त्रिपुरा और केरल के अधिकतर जिले, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के कुछ जिले दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में 20 दिनों से अधिक अवधि तक अत्यधिक वर्षा की संभावित अधिकतम आवृत्ति की घटनाओं का अनुभव करते हैं।
आईएमडी द्वारा विभिन्न चरम वर्षा की घटनाओं तथा विश्लेषण के लिए अग्रलिखित मानदंडों का प्रयोग किया है—भारी वर्षा (64.5–115.5 मिमी.); बहुत भारी वर्षा (115.5–204.4 मिमी.); और अति अत्यंत भारी वर्षा (204.4 मिमी के बराबर या अधिक)।
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