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संयुक्त राष्ट्र महासभा का 78वां सत्र

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए—यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली) के 78वें सत्र की शुरुआत 5 सितंबर, 2023 को हुई, तथा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क, यूएसए में सामान्य बहस (जनरल डिबेट) 19 से 23 सितंबर के बीच और 26 सितंबर, 2023 को फिर से आयोजित की गई थी। संयुक्त राष्ट्र में त्रिनिदाद और टोबैगो के स्थायी प्रतिनिधि डेनिस फ्रांसिस को 1 जून, 2023 को यूएनजीए के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।

सत्र का विषय

इस सत्र में कई सदस्य देशों के नेताओं ने भाग लिया, जिन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की।

यूएनजीए के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस द्वारा चुना गया सामान्य बहस का विषय था: रीबिल्डिंग ट्रस्ट एंड रीइग्नाइटिंग ग्लोबल सॉलिडैरिटी**: एक्सलेरेटिंग एक्शन ऑन द 2030 एजेंडा एंड इट्स सस्टेनेबल डेवेलपमेंट गोल्स टुवर्ड्स पीस, प्रॉस्पैरिटी, प्रोग्रेस एंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ऑल।

अध्यक्ष का संदेश

सत्र की अत्यावश्यकता को रेखांकित करते हुए, यूएनजीए के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा, सामूहिक लक्ष्य की धारणा और संयुक्त कार्रवाई की एकात्मकता में एकजुट होने के लिए राष्ट्रों का एक होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि युद्ध, जलवायु परिवर्तन, ऋण, ऊर्जा और खाद्यान्न संकट, गरीबी, तथा अकाल विश्व भर के अरबों लोगों के जीवन और कल्याण पर सीधा प्रभाव डाल रहे हैं। उन्होंने सदस्य देशों से भरोसे का पुनर्निर्माण करने और वैश्विक एकात्मकता को फिर से जागृत करने का आह्वान किया। संयुक्त राज्य अमेरिका की दिवंगत विदेश मंत्री मेडेलीन अलब्राइट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा: “यदि संयुक्त राष्ट्र अस्तित्व में नहीं होता, तो हमें इसे गढ़ना होता।” उन्होंने आगे कहा कि यह विश्व भाग्यशाली है कि संगठन वास्तव में है और उन्होंने सदस्य देशों से इस अप्रतिम संसाधन का पूर्ण और प्रभावी उपयोग करने का आह्वान किया।

यूक्रेन के संबंध में, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के एक अन्य सदस्य देश द्वारा यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का लगातार अतिक्रमण किए जाने का उल्लेख किया। युद्ध से अत्यधिक पीड़ा का अनुभव हुआ, तथा इसने अनगिनत परिवारों, समुदायों और जिंदगियों को तबाह कर दिया, जबकि युद्ध के क्रमिक प्रभाव खाद्यान्न असुरक्षा, ऊर्जा की कीमतों में अस्थिरता और परमाणु युद्ध के खतरे को लगातार बढ़ा रहे हैं।

अध्यक्ष के अनुसार, “हम सभी चाहते हैं कि यह युद्ध समाप्त हो जाए … हमें अंतरराष्ट्रीय विधि और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप यूक्रेन और विश्व में कहीं पर भी न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की आवश्यकता है। विश्व के अन्य हिस्सों को भी अमन का अवसर दिया जाना चाहिए—अफ्रीका से लेकर मध्य पूर्व तक।”

सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के संदर्भ में, उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों के संबंध में अस्वीकार्य देरी और रोलबैक (स्थिति, कानून आदि में बदलाव करके पूर्व स्थिति में ले जाना) हुए हैं, तथा सदस्य देशों से “खोई हुई विकास की गतिशीलता या निरंतरता (मोमेंटम) को पूरा करने और प्रगति को तीव्र करने के लिए शेष सात वर्षों में और अधिक कड़ी मेहनत करने” का आह्वान किया। जैसा कि 2023 मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 75वीं वर्षगांठ को चिह्नित करता है, उन्होंने फिर से कहा: “78वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में, मैं अति संवेदनशील और हाशिए पर डाले गए समूहों के लिए संघर्ष करने हेतु प्रतिबद्ध हूं।”

उन्होंने कहा, “हमारे पास क्षमता की कमी नहीं है। हमारे भीतर कार्य करने की इच्छाशक्ति की कमी है। अपने मतभेदों को दूर रखकर और विभाजन को पाटकर हम हर जगह, हर किसी को शांति, प्रगति, समृद्धि और स्थिरता प्रदान कर सकते हैं।”

एजेंडा

08 सितंबर, 2023 को यूएनजीए की दूसरी पूर्ण बैठक में अपनाया गया 78वें सत्र का एजेंडा इस प्रकार है:

 * महासभा और संयुक्त राष्ट्र के हालिया सम्मेलनों के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुसार निरंतर आर्थिक संवृद्धि और सतत विकास को बढ़ावा देना
 * अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का संरक्षण करना
 * अफ्रीका का विकास
 * मानव अधिकारों को बढ़ावा देना
 * मानवीय सहायता के प्रयासों का प्रभावी समन्वय
 * न्याय और अंतरारष्ट्रीय विधि को बढ़ावा देना
 * निःशस्त्रीकरण
 * नशीली दवाओं पर नियंत्रण, अपराध की रोकथाम और सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करना
 * संगठनात्मक, प्रशासनिक और अन्य मामले


वैश्विक नेता प्रतिवर्ष वार्षिक उच्च-स्तरीय *सामान्य **बहस* में शामिल होने, वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने, तथा शांति, सुरक्षा और सतत विकास को आगे बढ़ाने के प्रयास में विभिन्न समाधान ढूंढने के लिए एकत्रित होते हैं।

नियम के अनुसार, पहले सदस्य राष्ट्र अपनी बात कहते हैं, उसके बाद पर्यवेक्षक राष्ट्र और फिर सुपरानेशनल बॉडीज (अधिराष्ट्रीय निकाय—जिसमें एक से अधिक राष्ट्र शामिल हों)।

परंपरागत रूप से, ब्राजील सत्र को संबोधित करने वाला पहला राष्ट्र है। संयुक्त राष्ट्र के प्रोटोकॉल एंड लायसोन सर्विसिज के अनुसार, कई अवसरों पर देखा गया कि ब्राजील के अलावा कोई भी राष्ट्र सबसे पहले बोलना नहीं चाहता। अतः, यह एक परंपरा बन गई। मेजबान देश के रूप में ब्राजील के बाद अमेरिका का स्थान आता है। इसके बाद, अपनी बात कहने का क्रम प्रतिनिधित्व के स्तर, भौगोलिक संतुलन, बोलने के लिए दर्ज किए गए अनुरोध और अन्य विचारों के अनुसार होता है।

एक सुपरानेशनल बॉडी एक प्रकार का अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसके पास कुछ शक्तियों और कृत्यों का सीधा प्रयोग करने की शक्ति, जो अन्य राष्ट्रों के पास नहीं होती, होती है। यूरोपीय संघ (ईयू) को एक सुपरानेशनल संगठन के रूप में वर्णित किया गया है क्योंकि इसमें गहन राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक एकीकरण है, जिसमें साझा बाजार, संयुक्त सीमा नियंत्रण, सर्वोच्च न्यायालय और नियमित सार्वजनिक निर्वाचन शामिल हैं।


सत्र में हुई परिचर्चाएं

SDG समिट 2023: सतत विकास लक्ष्य सम्मेलन 2023 (Sustainable Developmental Goals Summit 2023) 18-19 सितंबर, 2023 को न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया था। इस शिखर सम्मेलन (समिट) ने उच्च-स्तरीय राजनीतिक मार्गदर्शन, के साथ SDG प्राप्त करने की दिशा में तेजी से प्रगति के एक नए चरण के लिए एक मंच तैयार किया। इस सम्मेलन ने SDG 2030 के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निर्धारित समय सीमा के मध्य काल को चिह्नित किया तथा रूपांतरकारी और त्वरित कार्रवाइयां की। इस शिखर सम्मेलन में विभिन्न जटिल और अंतर्ग्रंथित (बहुत घनिष्ट रूप से जुड़ा हुआ) संकटों पर चर्चा की गई, जिससे 2030 एजेंडा में सूचीबद्ध लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रति भरोसे, आशावाद और उत्साह की भावना उत्पन्न हुई।

क्लाइमेट एंबिशन समिट: /*20 सितंबर, 2023 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में आयोजित क्लाइमेट एंबिशन समिट में सरकार, व्यापार, वित्त, स्थानीय अधिकारियों और नागरिक समाज के ‘फर्स्ट मूवर एंड डूअर’ (अर्थात प्रथम प्रस्तावक और कर्ता) नेताओं को स्थान दिया गया। इन सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के त्वरित डीकार्बोनाइजेशन (विकार्बनीकरण) को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वसनीय कार्यों, नीतियों और योजनाओं का प्रस्ताव रखा। इन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी-जनरल्स एक्सेलेरेशन एजेंडा के, जो कि एक रहने योग्य ग्रह के लिए कार्ययोजना है, अनुरूप जलवायु न्याय प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता प्रतिभूत की।

भारत ने सदस्य देशों को उचित, गंभीर और नवीन जलवायु कार्रवाई और प्रकृति-आधारित समाधान प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया। इससे आगे बढ़ने और जलवायु संकट की अत्यावश्यकता पर प्रतिक्रिया देने में सहायता मिलेगी।

फाइनेंसिंग फॉर डेवलपमेंट: Addis Ababa Action Agenda को अपनाने के बाद से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विकास हेतु वित्तीयन पर अपनी दूसरी उच्च-स्तरीय वार्ता भी संचालित की। Addis Ababa Action Agenda विकास हेतु वित्तीयन (Financing for Development) पर 2015 के तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का, जो Addis Ababa, इथियोपिया में आयोजित किया गया था, परिणाम था। इस एजेंडा को 15 जुलाई, 2015 को राष्ट्रों और सरकारों के प्रमुखों द्वारा अपनाया गया था। भले ही इस एजेंडे को अपनाने के बाद से महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, फिर भी अनिश्चितताएं और जोखिम बने हुए हैं जो स्थायी वित्त की संभावनाओं की विकासात्मक प्रगति को खतरे में डालते हैं। वित्तीयन के लिए उच्च-स्तरीय वार्ता का उद्देश्य उच्चतम राजनीतिक स्तर पर वैश्विक प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करना है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास को प्रोत्साहित करने और चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई हेतु संयुक्त राष्ट्र के आह्वान के रूप में काम करेगा, जो 2030 के एजेंडे के साथ संरेखित करने के लिए सार्वजनिक और निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगा। इस वार्ता से नई और नवीन पहलों को बढ़ावा देने के माध्यम के रूप में उपयुक्त होना भी अपेक्षित है जो सतत विकास के वित्तीयन में अंतराल को लक्षित करेगा।

पैन्डेमिक प्रिवेन्शन,प्रिपेडनेस एंड रेस्पांस: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से हुई इस बैठक के दौरान, जिस सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस थे, सदस्य राष्ट्रों के प्रमुखों से महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया (Pandemic Prevention, Preparedness and Response) के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति जुटाने के उद्देश्य से एक राजनीतिक घोषणा को अपनाने की अपील की गई थी।

समिट ऑफ द फ्यूचर: सितंबर 2024 के समिट ऑफ द फ्यूचर की चर्चा और तैयारी के लिए 21 सितंबर, 2023 को एक मंत्री स्तरीय बैठक हुई। नेताओं के अनुसार, हाल ही में विश्व को बड़े संकटों का सामना करना पड़ा है। कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, पृथ्वी के त्रिपक्षीय संकट (जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता की हानि) आदि ने अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को चुनौती दी है। हमारे साझा सिद्धांतों और समान लक्ष्यों के इर्द-गिर्द एकता की अत्यंत महत्वपूर्ण और तत्काल आवश्यकता है। समिट ऑफ द फ्यूचर को विश्व के नेताओं को एक साझा मंच पर लाने के अवसर के रूप में देखा जा सकता है, जिससे महत्वपूर्ण चुनौतियों के संबंध में सहयोग बढ़ेगा। इससे वैश्विक शासन में अंतराल को संबोधित करने, SDGs और संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और पुनर्जीवित बहुपक्षीय प्रणाली की ओर बढ़ने में सहायता मिलेगी, जो लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। इस शिखर सम्मेलन ने सदस्य देशों से भविष्य में आने वाली चुनौतियों और नए खतरों से निपटने के लिए अधिक प्रभावी वैश्विक सहयोग के तरीकों पर विचार करने का आह्वान किया।

यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज: यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज) पर हुई बैठक ने सदस्य देशों को सभी के लिए स्वास्थ्य के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अपने प्रयासों को बढ़ाने का अवसर प्रदान किया। इस उच्च-स्तरीय बैठक ने नीतियों को क्रियान्वित करने और भविष्य के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने के लिए जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करने हेतु एक आधार के रूप में भी काम किया। सितंबर 2019 में, राष्ट्रों और सरकारों के प्रमुखों ने बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक प्राप्त करने के अधिकार के लिए एक राजनीतिक घोषणा का समर्थन किया था, और 2030 तक यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज प्राप्त करने की सिफारिश की थी।

फाइट एगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस: 78वें यूएनजीए के दौरान, तपेदिक के विरुद्ध संघर्ष (Fight against Tuberculosis) पर दूसरी उच्च-स्तरीय बैठक 22 सितंबर, 2023 को आयोजित की गई थी। इस बैठक का विषय “विशेष रूप से रोकथाम, परीक्षण, उपचार और देखभाल तक समान पहुंच सुनिश्चित करके वैश्विक तपेदिक महामारी को तत्काल समाप्त करने के लिए विज्ञान, वित्त और नवप्रवर्तन, तथा इनके लाभों को आगे बढ़ाना” था।

भारत का वक्तव्य: भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने किया। उन्होंने G20 में भारत की अध्यक्षता, क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान और भूमंडलीय वैश्विक व्यवस्था सहित विभिन्न विषयों पर बात की। शुरुआत में, उन्होंने 78वें यूएनजीए के विषय (थीम) को भारत का पूरा समर्थन दिया।

यूएनजीए में अपने भाषण के दौरान उन्होंने निम्नलिखित मुद्दे उठाए:

  • उन्होंने कहा कि यह भारत की महत्वाकांक्षाओं और लक्ष्यों को साझा करते हुए भारत की उपलब्धियों और चुनौतियों पर ध्यान से विचार करने का अवसर था। उन्होंने कहा कि   विश्व असाधारण उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। संरचनात्मक असमानताओं और असमान   विकास ने ग्लोबल साउथ पर बोझ डाला है। [ग्लोबल साउथ पद का प्रयोग  सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विशेषताओं के आधार पर देशों के समूह का वर्णन करने के   लिए किया जाता है। अंकटाड के अनुसार, इसमें मोटे तौर पर अफ्रीका, लैटिन अमेरिका   और कैरेबियन, एशिया (इजरायल, जापान और दक्षिण कोरिया को छोड़कर) और ओशिनिया   (ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को छोड़कर) के देश शामिल हैं।] विश्वमारी (Pandemic) के   प्रभाव और चल रहे संघर्षों, तनावों और विवादों के नतीजों के कारण स्थिति और भी   खराब हो गई है। इन सभी ने हाल के वर्षों में सामाजिक-आर्थिक लाभ में बाधा उत्पन्न की है।
  • उन्होंने सतत विकास के संसाधनों को गंभीर चुनौती मिलने पर भारत की चिंता व्यक्त की। कई राष्ट्रों के लिए लक्ष्य पूरा करना एक संघर्ष रहा है। इससे भविष्य और भी डरावना हो गया है। उन्होंने G20 की अध्यक्षता संभालने के बाद की जिम्मेदारी पर जोर दिया।   भारत ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के अपने दृष्टिकोण के साथ कई देशों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयत्न किया है। उन्होंने G20 नई दिल्ली नेताओं की घोषणा (G20 New Delhi Leaders’ Declaration) को दोहराया, जिसे   विभाजन को पाटने, बाधाओं को खत्म करने और सहयोग के बीज बोने के लिए निर्धारित किया गया है जो एक ऐसी दुनिया विकसित करेगा जहां एकता मतभेद पर हावी होगी और   जहां साझा नियति अलगाव को खत्म कर देगी।
  • उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण और उत्तर-दक्षिण विभाजन को अलग रखने में सक्षम है, तथा इस बात की पुष्टि   की कि कूटनीति और बातचीत ही एकमात्र प्रभावी समाधान हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था   विविधतापूर्ण है और सभी को भिन्नताओं का ध्यान रखना चाहिए। दूसरों की बात सुनने   और उनके दृष्टिकोण का सम्मान करने को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए, बल्कि यह सहयोग का मूल तत्व है। इससे वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक प्रयास सफल हो सकेंगे। G20 की   अध्यक्षता ने ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ सम्मेलन का आह्वान किया, जिसके कारण भारत को G20 के एजेंडे पर 125 देशों से सीधे उनकी चिंताओं को सुनने का अवसर मिला। उन्होंने अफ्रीकी संघ को G20 के स्थायी सदस्य के रूप में स्वीकार करने की भारत की पहल का भी   उल्लेख किया।
  • उन्होंने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) द्वारा निभाई जा रही   परिवर्तनकारी भूमिका की सराहना की। उन्होंने समावेशी और प्रगतिशील समाज के निर्माण में महिलाओं के नेतृत्व में होने वाले विकास की भी सराहना की। उन्होंने स्पष्ट   किया कि नई दिल्ली में हुए G20 सम्मेलन के परिणाम भविष्य के शहर प्रस्तुत करेंगे और भ्रष्टाचार से लड़ने, भुखमरी को खत्म करने या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने, प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने या महासागर आधारित अर्थव्यवस्था को संरक्षित   करने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने या वैश्विक कौशल का मानचित्रण करने में सहायता करेंगे।
  • विदेश मंत्री ने ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस (वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन) पर किए गए विकास पर भी प्रकाश डाला। भारत ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे   (आईएमईसी) के निर्माण की पहल की थी।
  • उन्होंने निश्चयपूर्वक कहा कि हर दूसरे देश की तरह, भारत भी वैश्विक भलाई के लिए अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाता है, तथा बड़ी जिम्मेदारियां लेने और अधिक योगदान देने के लिए ही एक अग्रणी शक्ति बनने की आकांक्षा रखता है। उन्होंने इस बात पर जोर   दिया कि भारत ने अपनी वैक्सीन मैत्री पहल के माध्यम से कोविड-19 विश्वमारी के दौरान यह प्रदर्शित किया है। खाद्यान्न सुरक्षा बढ़ाने के लिए, भारत ने 2023 को इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया।
  • उन्होंने तुर्किये और सीरिया में भूकंप जैसी आपातकालीन स्थितियों के दौरान विश्व को सहायता प्रदान करने के लिए भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली को भी सही ठहराया।
  • उन्होंने इस ओर ध्यान आकर्षित किया कि भारत ने गंभीर आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका   की सहायता की थी। इसके अलावा, भारत ने सुदूर प्रशांत द्वीप समूह को स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी और जलवायु कार्रवाई में उनकी जरूरतों को पूरा करने में सहायता की।
  • उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत SDG लक्ष्यों को पूरा करने में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक रहा है जैसा कि इसने आत्मविश्वास पुनर्प्राप्त करने के लिए अपनी क्षमताओं का विस्तार किया है।
  •  उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स 2023 के अनुसार, भारत ने 415 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह वित्तीय समावेशन, भोजन और पोषण, स्वास्थ्य और जल आपूर्ति, साथ ही   ऊर्जा और आवास को शामिल करने वाली भारत की महत्वाकांक्षी सामाजिक-आर्थिक पहल   के कारण संभव हुआ है। भारत यह प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा है कि सामाजिक कल्याण केवल विकसित विश्व का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए।
  • उन्होंने सार्वजनिक वस्तुओं की डिजिटल डिलीवरी (वितरण) में भारत की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला, जिसने दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि की है और भ्रष्टाचार के   विरुद्ध संघर्ष किया है।
  • उन्होंने उल्लेख किया कि नियम तभी प्रभावी ढंग से काम करते हैं जब वे सभी पर समान रूप से लागू होते हैं। यदि नियम-निर्माता उन्हें अपने अधीन नहीं करेंगे जिन पर नियम लागू हो रहा है, तो एक निष्पक्ष, न्यायसंगत और लोकतांत्रिक व्यवस्था सामने आएगी।
  • उन्होंने कठोर जलवायु कार्रवाई का आह्वान किया, तथा टीके में रंगभेद (लोगों के समूहों को अलग रखने और उनके साथ अलग व्यवहार करने की एक प्रणाली) की प्रथा और बाजारों का उपयोग जरूरतमंदों से अमीरों तक भोजन और ऊर्जा पहुंचाने के लिए करने की निंदा की।
  • उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राजनीतिक सुविधा के लिए आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, क्षेत्रीय अखंडता का ध्यान रखा जाना चाहिए और अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी देशों को वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना चाहिए और उन्हें इस दृढ़ विश्वास के साथ छिन्न-भिन्न किया जाना चाहिए कि “हम एक भविष्य के साथ, एक पृथ्वी और एक परिवार हैं।
  • भारत के सफल चंद्रयान-3 मिशन की सराहना करते हुए उन्होंने मिशन के दौरान भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा प्रदर्शित प्रतिभा और सर्जनात्मकता की सराहना की।
  • डिजिटल रूप से सक्षम शासन और वितरण के अलावा, भारत ने सुविधाओं और सेवाओं के क्षेत्र में अपना दायरा बढ़ाया है। तेजी से बढ़ते अपने बुनियादी ढांचे और ऊर्जावान स्टार्टअप संस्कृति के साथ, भारत कला, योग, कल्याण और जीवन शैली जैसी जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों में भी दिखाई देने लगा है।
  • महिला सशक्तिकरण पर, उन्होंने जोर देकर कहा कि एक अग्रणी कानून के रूप में, भारत अपनी विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित कर रहा है।
  • उन्होंने अंतिम रूप से कहा कि भारत एक ऐसा समाज है जहां लोकतंत्र की प्राचीन परंपराओं ने गहरी आधुनिक जड़ें जमा ली हैं। इसके कारण भारतीयों की सोच, दृष्टिकोण और कार्य अब अधिक मौलिक और प्रामाणिक हो गए हैं। भारत एक सभ्यतागत राजव्यवस्था है जो आधुनिकता को अपनाती है, तथा इसीलिए परंपरा और प्रौद्योगिकी दोनों को समान रूप से सामने लाती है।

यूएनजीए के बारे में

यूएनजीए संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है। यूएनजीए संयुक्त राष्ट्र के मुख्य विचार-विमर्श, नीति-निर्माता और प्रतिनिधि अंग के रूप में कार्य करता है। यह संयुक्त राष्ट्र के बजट, सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्यों की नियुक्ति और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार है। यूएनजीए का गठन 1945 में हुआ था और इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क, अमेरिका में है। यूएनजीए का पहला सत्र जनवरी 1946 में 51 सदस्य देशों के साथ आयोजित किया गया था। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य यूएनजीए के सदस्य हैं। प्रतिवर्ष, यूएनजीए का सत्र सितंबर में न्यूयॉर्क में आयोजित किया जाता है।

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